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नोरोवायरस क्या है जानिए नोरोवायरस के लक्षण। What is NoroVirus
नोरो वायरस दूषित खाने और पानी से फैलने वाली बीमारी है। इसे Norwalk वायरस के नाम से भी जाना जाता है।
नोरो वायरस का नाम Norwalk के नाम पर पड़ा है जहां ये वायरस सबसे पहले 1968 में देखा गया था। Norwalk ,Ohio अमेरिका के एक शहर का नाम है। नोरो वायरस वैसे तो काफी पुराना वायरस है लेकिन हाल ही में इसे केरल में पाया गया है जिससे इसके लिए सरकार ने चिंता व्यक्त की है।
वैसे तो नोरो वायरस स्वस्थ लोगों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाता है लेकिन यह छोटे बच्चों और वृद्ध लोगों को जल्द ही अपनी चपेट में ले लेता है। नोरो वायरस सर्दियों के दिनों में फैलता है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
नोरो वायरस Caliciviridae वायरल फैमिली का वायरस है।
नोरो वायरस के लक्षण
नोरो वायरस के कारण आपके पेट और आंतों में( acute viral gastroenteritis) सूजन आ जाती है और उल्टी और दस्त की बहुत शिकायत होती है। इससे आपको सर में दर्द,बुखार ,चक्कर आना जैसी समस्यांएं हो सकती हैं। जिनका जल्द इलाज न कराने से आपको गंभीर समस्या भी हो सकती है। नोरो वायरस के इन्फेक्शन के 24 से 48 घंटों के बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं।
नोरो वायरस चर्चा में क्यों आया
हाल ही में इस वायरस से पीड़ित 13 छात्र केरल के वायनाड में पाए गए हैं जो कि एक पशु चिकित्सा महाविद्यालय के छात्र थे।
नोरो वायरस कैसे फैलता है
नोरो वायरस गंदा पानी और दूषित खाने से फ़ैल सकता है। नोरो वायरस के फैलने का एक कारण और भी देखा गया है जो व्यक्ति टॉयलेट करने के बाद अपने हाथ अच्छे से नहीं धोते और फिर उन्हीं हाथों से दूसरी वस्तुओं को छूते हैं तब भी इन्फेक्शन होने का डर रहता है। क्यूंकि नोरो वायरस मल में बहता है इसीलिए अपने हाथों को अच्छे से साफ़ करें।
नोरो वायरस से खुद को कैसे बचायें
नोरो वायरस से बचने के लिए आप साफ़ सुथरी जगह में रहें। यदि आप किसी जानवर के संपर्क में हैं तो कुछ समय तक जानवरों से दुरी बनाये रखें। हमेशा हाथ धोकर ही खाना खाएं और लोगों के सीधे संपर्क में आने से बचें। जब भी कोई फल खाएं तो उसे अच्छे से साफ़ करें और सब्जियां अच्छे से पका कर ही खाएं। अपने पीने के पानी को बिलकुल भी दूषित न होने दें और हो सके तो हमेशा पानी को उबालकर ही पियें।
क्यों कि अभी तक नोरो वायरस की कोई भी लाइसेंस्ड वैक्सीन उपलब्ध नहीं है इसीलिए इसका बचाव ही इसका इलाज है।